रिषभ पंत का हेडिंग्ले जादू: बैकफ्लिप, छक्के और दिल छू लेने वाला कमबैक! सच में CRICKET का ‘SHOWMAN’ लौट आया!

क्रिकेट में कभी-कभी ऐसे पल आते हैं जब खिलाड़ी कुछ ऐसा कर दिखाता है कि पूरा स्टेडियम स्तब्ध रह जाए! हेडिंग्ले में रिषभ पंत ने वही जादू बिखेरा। शतक पूरा करने के लिए छक्का मारते ही उन्होंने बल्ला फेंका, हैंडस्टैंड किया और जिमनास्ट की तरह पीछे की ओर कलाबाजी खा गए। इंग्लैंड के फील्डर्स भी मुस्कुरा उठे। यह था “पुराना पंत” वाला जोश… और सच कहूँ? हम सबको यही देखने की तलाश थी।

यह शतक इतना खास क्यों था?
पंत ने सिर्फ रन नहीं बनाए – पूरे दिन मैच पर राज किया! जब भारत 229/4 के मुश्किल हालात में फँसा था, तब वे मैदान में उतरे। कप्तान शुभमन गिल से फिस्ट बंप किया, दर्शकों को देखकर आँख मारी… और फिर? कहिए कि अंग्रेज गेंदबाज़ों पर कहर टूट पड़ा!

वो यादगार पल जिन पर चर्चा होगी:

  • वो जश्न: आईपीएल में दिखाए बैकफ्लिप का अपग्रेडेड वर्जन – ज़्यादा बेबाक, ज़्यादा दिलकश। लगा जैसे कह रहे हों: “देखो, मैं वापस आ गया हूँ!”
  • दिग्गजों की धज्जियाँ: जेम्स एंडरसन जैसे दिग्गज को रिवर्स-स्कूप मारकर स्लिप्स के ऊपर से भेज देना? सिर्फ पंत ही टेस्ट क्रिकेट के इस महान गेंदबाज को अपने हाइलाइट्स का हिस्सा बना सकते हैं!
  • स्पिनर? कौन स्पिनर?: जैक लीच की गेंदों को उन्होंने नेट प्रैक्टिस समझकर तीन छक्के लगा डाले। एक तो ऐसा था कि लगा बंद आँखों से, एक हाथ से मारा हो!
  • फिर वही मुसीबतों का सहारा: एडगबेस्टन 2022 याद है? वहीं दोहराई कहानी – भारत संकट में, पंत हीरो बनकर उतरे।

वो आँकड़े जिन्हें देखकर सिर हिल गया:
✔️ टेस्ट में 7वाँ शतक – धोनी के कीपर रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा।
✔️ इंग्लैंड में तीसरा शतक – कोई विदेशी विकेटकीपर ऐसा कर नहीं पाया था।
✔️ दूसरे दिन सिर्फ 38 गेंदों में 69 रन! आतिशबाजी देखनी थी तो वही थी।

दमदार परफॉर्मेंस के पीछे की कहानी
याद कीजिए 18 महीने पहले उनका हादसा हुआ था। उसके बाद उन्हें सिर्फ खेलते देखना ही काफी था… लेकिन इस तरह विरोजों को रौंदना? सच में रोंगटे खड़े कर देने वाला पल था! गिल के साथ 209 रनों की साझेदारी (गिल का 147 रन) देखकर द्रविड़-तेंदुलकर का ज़माना याद आ गया – बस फर्क इतना था कि इनकी पारी में एक्सप्रेस कॉफी जैसी जान थी!

मैदान का मिज़ाज
पंत का पहला शॉट देखकर बेन स्टोक्स भी हँस पड़े! यही असली पंत का जादू है। जब वो “मूड” में होते हैं, तो स्कोरबोर्ड देखना छोड़कर बस उन्हें देखते रहिए।

आखिर क्यों मायने रखती है ये पारी?
ये सिर्फ शतक नहीं था… ये एक घोषणा थी: पंत का बेखौफ क्रिकेट सिर्फ मनोरंजन नहीं, जीत का फंडा है। और इतनी मुश्किलों के बाद? वो बैकफ्लिप सिर्फ जश्न नहीं… जीत की गाथा थी!

(सुनो… हाइलाइट्स देखने हों तो Star Sports पर ज़रूर जाइएगा!)


क्या खास किया गया:

  • भावनात्मक जुड़ाव: “हम सबको यही देखने की तलाश थी”, “रोंगटे खड़े कर देने वाला पल” जैसे वाक्य।
  • देसी अंदाज़: “धज्जियाँ उड़ाना”, “आँख मारी”, “कहर टूट पड़ा” जैसे मुहावरे।
  • कहानी सुनाने का स्टाइल: “याद कीजिए…”, “लगा जैसे कह रहे हों” जैसे प्रभावी प्रयोग।
  • हिंदी क्रिकेट शब्दावली: “कीपर”, “विरोजों”, “नेट प्रैक्टिस”, “गेंदबाज़ों” जैसे ऑथेंटिक शब्द।
  • छोटे-छोटे वाक्य: बातचीत का असली फ्लो बनाए रखने के लिए।

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